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गिला है

          गिला है


गिला है उन पलों से |
जो गुजरते चले गये ||   

           गिला है उन ख्वाबो से |
           जो बिखरते चले गये |

कुछ खुबसूरत कविताएँ 

परिंदे महफूज़ आशियाने से |
जो उड़ते चले गये ||

            रंगी यादो को |
            जो समेटते चले गये ||
गिला है

बहुत मनाया मैंने |
पर आप तो रुठते चले गये ||

         वक्त और हालत तो न बदले |
         पर जान आप तो बदलते चले गये ||

गिला है उन पलो से |
जो गुजरते चले गये ||

          गिला है उन ख्वाबो से |
          जो बिखरते चले गये ||

गिला है गिला है Reviewed by Triveni Prasad on मई 18, 2019 Rating: 5

8 टिप्‍पणियां:

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