माँ
सारी दुनिया का प्यार एक तरफ ।
और माँ का दुलार अकेले एक तरफ ।।
फिर भी पड़ जाता है ये सब पे भारी ।
क्योंकि ये निस्वार्थ दुलार नहीं जानता दुनियादारी ।।
चाहे क्यों न वो घूमे इस दुनिया में मारी मारी ।
लेकिन कोशिश करती है वो माँ बेचारी ।।
बनाकर रखने की बेटे को अपने राजकुमार ।
और बेटी को राजकुमारी ।।
सारी दुनिया का प्यार एक तरफ ।
और माँ का दुलार अकेले एक तरफ ।।
फिर भी पड़ जाता है ये सब पे भारी ।
क्योंकि ये निस्वार्थ दुलार नहीं जानता दुनियादारी ।।
चाहे क्यों न वो घूमे इस दुनिया में मारी मारी ।
लेकिन कोशिश करती है वो माँ बेचारी ।।
बनाकर रखने की बेटे को अपने राजकुमार ।
और बेटी को राजकुमारी ।।
तुम उस माँ को चाहे दे दो कितना भी दुःख और धोखा ।
लेकिन हमेशा देगी वो तुझे प्यार का तोहफा ।।
वो कभी नहीं पूछेगी तुमसे तुमने उन्हें क्यों रुलाया ।
लेकिन अगर तुम रोये तो वो जरूर पूछेगी ।
किसने किया दुखी तुम्हे ।।
बता दे मुझे क्या तुम्हें है कोई परेशानी ।
मै कोशिश करुँगी दूर करने की उसे ।
चाहे उसके लिए मुझे कितने भी दुःख पड़े उठानी ।।
ऐसा होता है माँ का प्यार ।
जो बच्चो के लिए उठा सकती है दुःख अपार ।
क्यों माँ को प्यार देने के लिए एक दिन तय कर रखा है संसार ।।
ऐसा होता है माँ का प्यार ।
जो बच्चो के लिए उठा सकती है दुःख अपार ।
क्यों माँ को प्यार देने के लिए एक दिन तय कर रखा है संसार ।।
माँ
Reviewed by Triveni Prasad
on
मई 13, 2019
Rating:
Nice poem sir ji
जवाब देंहटाएंAwesome
जवाब देंहटाएंWah bhai...
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंLajwab
जवाब देंहटाएंNice
जवाब देंहटाएंnice poem
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